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Shani Sade Sati: शनि की साढ़े साती में क्या होता है, क्या इससे घबराना चाहिए?


Shani Sade Sati: ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे प्रमुख ग्रह माना जाता है. शनि ऐसे ग्रह हैं जोकि हर व्यक्ति को शुभ और अशुभ दोनों ही फल देते हैं. क्योंकि शनि कर्म के आधार पर फल देने वाले देव हैं. शनि की साढ़े साती का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर बैठ जाता है. क्योंकि लोगों के बीच ऐसी धारणा बनी हुई है कि साढ़े साती के दौरान का समय किसी व्यक्ति के लिए बहुत ही खतरनाक होता है और इस समय शनि दंडित करते हैं. लेकिन क्या वाकई शनि की साढे़ साती से घबराने की जरूरत है? आइए जानते हैं.

शनि की साढ़े साती क्या होती है (What is Shani Sade sati)

शनि की साढ़े साती के दौरान मिलने वाले अच्छे-बुरे परिणामों को जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर साढ़े साती होती क्या है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि शनि सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह है. शनि की साढ़े साती से आप कितना भी भयभीत हों लें. लेकिन हर किसी के जीवन में एक बार शनि की साढ़े साती जरूर लगती है. साढ़े साती किसी एक राशि में साढ़े सात साल तक रहती है, जबकि शनि एक राशि में ढाई साल तक विराजमान रहते हैं. इस तरह से एक राशि का चक्र पूरा करने में शनि को 30 सालों का समय लग जाता है. शनि जब किसी राशि में गोचर करते हैं तो उस पर साढ़े साती लगती है. लेकिन इसके साथ ही उस राशि की अगली और पिछली राशि में भी साढ़े साती का प्रभाव पड़ता है. इसे विस्तार के लिए जानने के लिए जानते हैं कि आखिर साढ़े साती काम कैसे करती है.

बता दें कि साढ़े साती तीन चरणों में काम करती है. इसमें पहला, दूसरा और तीसरा तीन चरण होते हैं. जब किसी राशि पर शनि की साढ़े साती के चरण की शुरुआत होती है तो इसे हम पहला चरण कहते हैं जोकि ढाई वर्षों का होता है. ढाई वर्ष के बाद दूसरा चरण शुरू हो जाता है और इसके ढाई वर्ष के बाद तीसरा चरण शुरू होता है. इस तरह से कुल मिलाकर साढ़े साती के तीन चरण साढे़ सात साल का होता है.

साढ़े साती के तीन चरण (Stages of Sade Sati)

  • शनि की साढ़े साती का पहला- व्यक्ति के जन्म की राशि से रहले वाली राशि में शनि में होता है साढ़े साती की शुरुआत होती है. पहला चरण ढाई साल का होता है और इसे साढ़े साती चढ़नी शुरू होती है.
  • शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण- दूसरा चरण भी ढाई साल का होता है. शनि जब गोचर होता है तो शनि किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस राशि में साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू होता है. दूसरे चरण में साढ़े साती के बीच के ढ़ाई साल होते हैं. यह चरण कष्टकारी माना जाता है.
  • शनि की साढ़े साती का तीसरा चरण- शनि गोचर करते हुए जन्म राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं तो यह साढ़े साती का आखिरी चरण कहलाता है. यह भी ढाई वर्ष का होता है और इसमें शनि जातक को शुभ फल प्रदान करते हैं.

क्या शनि की साढ़े साती से घबराने की जरूरत है

शनि की साढ़ेसाती का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं. लेकिन हमेशा ही साढ़े साती से घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह ऐसा समय होता है जब व्यक्ति ठीक उसी तरह से निखरता है जैसे एक कुम्हार गीली मिट्टी को निखारते हुए सुंदर बर्तन का आकर देता है. दरअसल साढ़े साती में हमेशा ही अशुभ फल मिले ऐसा जरूरी नहीं है. साढ़े साती में शुभता या अशुभता इस बात पर निर्भर करती है कि कुंडली में शनि की स्थिति कैसी है और साथ ही साथ व्यक्ति के कर्म कैसे हैं. कुंडली में अगर शनि नीच राशि, निर्बल, शत्रु क्षेत्र में या फिर अशुभ स्थान में हो तो ऐसे में साढ़े साती के दौरान शनि कुपित होकर अशुभ फल देते हैं. 

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