Ashwin Navpad Oli 2024: आश्विन मास में आने वाली ‘नवपद ओली’ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है. यह वर्ष में दो बार मनाई जाती है, एक बार चैत्र मास में और दूसरी बार आश्विन मास में. ‘नवपद’ का अर्थ है नौ पवित्र पद या स्थिति, जो भगवान की पूजा और साधना के प्रतीक हैं. इन नौ पदों में साम्य, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और निर्भयता शामिल होते हैं. शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आश्विन नवपद ओली का प्रारंभ होता है और यह नौ दिनों तक चलता है. इस दौरान जैन धर्म के अनुयायी विशेष व्रत, उपवास और साधना करते हैं. यह एक ऐसा समय होता है जब आत्मा की शुद्धि, मन की शांति और धार्मिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता को प्रमुखता दी जाती है. ओली के दौरान उपवास रखने वाले भक्त केवल एक बार आहार लेते हैं या निराहार रहते हैं. दिनभर ध्यान, प्रार्थना तथा धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में लगे रहते हैं.
नवपद के नौ गुण (Nine qualities of Navpad)
- साम्य (समता) समता का अर्थ है मन, वचन और काया में संतुलन बनाना. व्यक्ति को हर परिस्थिति में धैर्य और समभाव बनाए रखना चाहिए. यह मानसिक शांति और आत्मिक विकास का आधार है.
- सत्य (सच्चाई) सत्य का पालन करना जैन धर्म का एक प्रमुख सिद्धांत है. यह न केवल बाहरी जीवन में बल्कि आंतरिक जीवन में भी सत्यता को अपनाने पर जोर देता है.
- अचौर्य (चोरी न करना) अचौर्य का मतलब है कि किसी भी प्रकार से चोरी न की जाए, चाहे वह विचार, वस्तु या भावना हो.
- ब्रह्मचर्य (इन्द्रियों पर संयम) ब्रह्मचर्य का पालन शारीरिक और मानसिक रूप से इन्द्रियों पर संयम रखने से होता है. यह आत्मिक उन्नति के लिए अत्यंत आवश्यक है.
- संयम (अनुशासन) संयम का अर्थ है अपनी इच्छाओं और इन्द्रियों पर नियंत्रण. यह आत्म-संयम आत्मा की शुद्धि और जीवन में अनुशासन बनाए रखने में सहायक होता है.
- तप (तपस्या) तपस्या का महत्व जैन धर्म में अत्यधिक है. तप द्वारा आत्मा की शुद्धि की जाती है और इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी गलतियों को सुधारता है.
- त्याग (वैराग्य) त्याग का अर्थ है सांसारिक वस्तुओं और मोह-माया से मुक्त होना.
- आकिंचन्य (निर्लिप्तता) इसका अर्थ है कि किसी भी प्रकार की वस्तु, व्यक्ति या परिस्थिति के प्रति आसक्ति नहीं होनी चाहिए.
- निर्भयता निर्भयता का तात्पर्य है कि व्यक्ति को किसी भी प्रकार के भय से मुक्त होना चाहिए, चाहे वह भौतिक हो या मानसिक.
आश्विन नवपद ओली का महत्व (Importance of Ashwin Navpad Oli)
आश्विन नवपद ओली का मुख्य उद्देश्य आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति करना है. इस दौरान जैन धर्मावलंबी (importance in Jainism) अपनी आत्मा को शुद्ध करने के लिए कई तरह के धार्मिक कार्य करते हैं. यह नौ दिनों का समय उनके लिए एक अवसर होता है जब वे अपने भीतर की गलतियों को सुधारने, पापों का प्रायश्चित करने और धार्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं. ओली का व्रत व्यक्ति को आत्मसंयम और धैर्य सिखाता है. यह व्रत न केवल शारीरिक शुद्धि के लिए किया जाता है बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. ओली के नौ दिनों में उपवास, ध्यान, प्रार्थना और धार्मिक सत्संग में भाग लेने से व्यक्ति का आत्मिक बल बढ़ता है और वह अपने जीवन को अधिक सरल और सच्चाईपूर्ण बना सकता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)