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Saturday, December 27, 2025

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पिता नही सुपरहीरो! किडनी दान कर 21 साल की इन्फ्लुएंसर बेटी को बचाया, बचपन से थी दिक्कत



Kidney Transplant News: पिता तो बेटियों के लिए ‘सुपर हीरो’ होते हैं. हर बेटी मानती है कि उसके पिता ऐसा कोई काम नहीं है, जो वह नहीं कर सकते है. एक पिता वास्तव में अपनी बेटी के जीवन का ‘सुपर मैन’ हो सकता है, इसका प्रमाण एक बार फिर हमारे देश में मिला. 21 साल की एक लड़की किडनी की बीमारी से पीड़ित थी. दोनों किडनी लगभग फेल होने वाली थीं. पिता अपनी बेटी की इस हालत को बर्दाश्त नहीं कर सके.

उन्होंने अपनी क्षमता से परे जाकर इलाज तो करवाया ही. साथ ही बेटी का भविष्य स्वस्थ रहे, इसलिए उन्होंने अपनी किडनी अपनी बेटी को दान कर दी. पता चला है कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पेशे से इन्फ्लुएंसर लड़की धीरे-धीरे स्वस्थ हो रही है. पिता के प्यार से लड़की का पुनर्जन्म हुआ है. वह एक सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ेगी. 

साधारण यूरिन इंफेक्शन बना गंभीर समस्या

21 साल की सोशल मीडिया इन्फलुएंसर क्यूटी मेंदिरत्ता को समस्या की शुरुआत एक साधारण यूरिन इंफेक्शन से हुई. धीरे-धीरे किडनी खराब होने लगी. दवाएं शुरू हो गईं. लड़की की दोनों किडनी केवल 40 प्रतिशत काम कर रही थीं. समस्या बढ़ती गई. किडनी की जटिल बीमारी हो गई. क्रोनिक किडनी डिजीज से 21 साल की लड़की की दोनों किडनी फेल हो गईं. लड़की के पिता का नाम योगेश है.

समय उनकी आंखों के सामने मानो रुक गया था. वास्तव में, एक पिता ऐसी स्थिति को कैसे स्वीकार कर सकता था. इसलिए, उन्होंने अपनी बेटी के लिए जो सबसे अच्छा था, वही किया. उन्होंने अपनी किडनी अपनी बेटी को दान कर दी. सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर लड़की धीरे-धीरे सामान्य जीवन की लय में लौट रही है. 

बचपन से ही किडनी की बीमारी से पीड़ित थी लड़की

लड़की बचपन (4-5 साल की उम्र) से ही किडनी की बीमारी से पीड़ित थी. जैसे-जैसे समय बीता, उम्र बढ़ी, किडनी की समस्या बढ़ती गई. अस्पताल के गलियारे, डायलिसिस प्रक्रिया के घेरे में क्यूटी नाम की लड़की का जीवन शुरू हो गया. उसे सोशल मीडिया से भी एक तरह से विदा लेनी पड़ी. जब डॉक्टरों ने शारीरिक स्थिति के लगातार बिगड़ने पर किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी तो क्यूटी के पिता योगेश ने एक बार भी कुछ नहीं सोचा. उनके शब्दों में, उनकी बेटी के जीवन से बढ़कर उनके लिए कुछ भी कीमती नहीं है.

वह चाहते थे कि उनकी बेटी अपने सारे सपने पूरे कर सके, पिता के रूप में उनकी और कोई इच्छा नहीं थी. बिना कुछ सोचे योगेश अपनी किडनी अपनी बेटी को देने के लिए तैयार हो गए. कुशल, अनुभवी डॉक्टरों के सहयोग से किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा. अपनी बेटी को धीरे-धीरे स्वस्थ होते देख पिता खुश हैं, उन्हें राहत मिली है. डॉक्टर भी अपने काम में सफल होकर खुश हैं. 



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