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Tuesday, December 24, 2024

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5 ऐसे देश जिनके पास है दुनिया का टॉप एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम, जानिए भारत के पास कितने?


Anti-Aircraft Countries: दुनिया के शक्तिशाली देशों ने दुश्मनों से बचने के लिए डिफेंस सिस्टम बनाया हुआ है. हवाई हमलों से बचने के लिए एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम (एएएम) भी इनमें शामिल है. हाल ही में रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास के बीच हो रहे युद्ध में इसका जमकर इस्तेमाल किया गया और काफी मददगार साबित हुआ.

ऐसे में दुनिया के उन पांच देशों में के बारे में जानेंगे जिनके पास टॉप के एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम हैं और कितने हैं. इससे पहले ये भी जानना जरूरी है कि ये एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम होता क्या है?

एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम के बारे में

एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल एक गाइडेड मिसाइल है जिसे दुश्मन के विमानों को नष्ट करने या नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है. इन मिसाइलों को जमीन, समुद्र या हवा से लॉन्च किया जा सकता है और ये आधुनिक रक्षा प्रणालियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. ये आने वाले विमानों या मिसाइलों का पता लगाकर, उन्हें ट्रैक करके और उन्हें रोककर काम करते हैं, इससे पहले कि वे नुकसान पहुंचाएं हवाई खतरों को बेअसर कर दें. एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलें सैन्य संपत्तियों, बुनियादी ढांचे और नागरिक क्षेत्रों को हवाई हमलों से बचाने के लिए जरूरी हैं.

टॉप के एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम रखने वाले देश

1. चीन के पास HQ-9 लंबी दूरी का एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम है, जिसे दुश्मन के विमानों, क्रूज मिसाइलों, हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों, सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों और हेलीकॉप्टरों को निशाना बनाकर खत्म करने के लिए डिजाइन किया गया है.

यह मौसम की स्थिति की परवाह किए बिना दिन और रात दोनों समय काम करता है. HongQi 9 का विकास 1980 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ, जो शुरू में अमेरिकी पैट्रियट एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम से प्रेरित था.

2. अमेरिका के पास पैट्रियट (MIM-104) है, जो कि फेज्ड ऐरे ट्रैकिंग रडार टू इंटरसेप्ट ऑन टारगेट का संक्षिप्त नाम है. ये एक सभी मौसम, सभी ऊंचाई वाली वायु रक्षा प्रणाली है जिसे सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और उन्नत विमानों का मुकाबला करने के लिए विकसित किया गया है.

इसे 1974 में अमेरिकी सेना के शस्त्रागार में जोड़ा गया था. यह सिस्टम एक साथ लगभग 100 मिसाइलों का पता लगा सकता है. इसकी सबसे छोटी सामरिक और अग्नि उप इकाई, बैटरी में 4-8 लॉन्चर (पीयू) शामिल हैं जिनमें से प्रत्येक में चार मिसाइलें हैं.

3. SAMP-T complex (Eurosam) सिस्टम फ्रांस और इटली का संयुक्त निर्माण है, जिसे सभी मौसम की स्थितियों में उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है और यह दुश्मन के तेज जामिंग और रुकावटों के लिए प्रतिरोधी है. यह मशीन यूनिट्स और मार्च कर रहे सैनिकों के लिए हवाई सुरक्षा देता है, साथ ही हवाई खतरों से महत्वपूर्ण स्थिर स्थलों की सुरक्षा भी करता है.

जून 1989 में एरोस्पेशियल, एलेनिया और थॉमसन-सीएसएफ की गठित यूरोपीय संघ यूरोसैम ने इस प्रणाली को विकसित किया. अपनी भूमि-आधारित क्षमताओं के साथ, SAAM (PAAMS) नौसेना SAM प्रणाली को फ्रांसीसी और इतालवी नौसेना के जहाजों पर तैनात किया गया है.

3. एसएएम या जीटीएएम डेविड डेविड स्लिंग, एक इजरायली मध्यम से लंबी दूरी की वायु और मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जिसे इजरायली रक्षा ठेकेदार राफेल और अमेरिकी रक्षा ठेकेदार रेथियॉन की ओर से संयुक्त रूप से विकसित किया गया.

यह सिस्टम बहुस्तरीय रक्षात्मक सरणी का हिस्सा है, जो व्यापक कवरेज और सुरक्षा देता है. यह इजरायली मिसाइल प्रणालियों की अगली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका उद्देश्य इजरायल के शस्त्रागार में एमआईएम-23 हॉक और एमआईएम-104 पैट्रियट को बदलना है.

4-5 टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और रूस के पास एस-400 ट्रायम्फ सिस्टम है. रूस के अल्माज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो की ओर से 1990 के दशक में विकसित एस-400 एक सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है. इस सिस्टम में कई तरह की मिसाइलें शामिल हैं. इसकी मारक क्षमता 400 किमी दूर तक है, जबकि डिटेक्शन रेंज 600 किमी से अधिक है. इसकी पांच यूनिट भारत के पास भी हैं.

ये भी पढ़ें: यूक्रेन को अमेरिका देगा ‘बूस्टर डोज’! 425 मिलियन डॉलर के हथियारों से रूस पर बरसेगी आफत



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