टेक्नोलॉजी अब हर क्षेत्र में राज कर रही है, जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की है. भारत के हेल्थ सेक्टर में अस्पतालों से लेकर डेटाबेस और रिसर्च तक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल शुरू हो चुका है. इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए नेशनल हेल्थ केयर अथॉरिटी ने डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन साइन किया है. यह साझेदारी नेशनल हेल्थ अथॉरिटी और आईआईटी कानपुर के बीच हुई है.
IIT कानपुर करेगा मदद
इस समझौता ज्ञापन के तहत, आईआईटी कानपुर के द्वारा एक संघीय शिक्षा मंच (Federated Learning Platform) विकसित किया जाएगा, जिसमें अलग-अलग मशीन लर्निंग मॉडल पाइपलाइनों के लिए एक गुणवत्ता-संरक्षण डेटाबेस, AI मॉडलों की तुलना और वेलिडेशन के लिए एक खुला बेंचमार्किंग प्लेटफॉर्म और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के तहत रिसर्च के लिए एक सहमति प्रबंधन प्रणाली शामिल होगी. इसके बाद NHA द्वारा इस मंच का संचालन और मैनेजमेंट किया जाएगा, जिससे स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए AI की विशाल क्षमता को खोला जा सकेगा.
स्वास्थ्य सचिव ने कही ये बात
इस समझौते पर स्वास्थ्य सचिव की तरफ से कहा गया की ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत यह बहुत महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन है. ये AI मॉडल्स की तुलना और सत्यापन के लिए एक खुला सार्वजनिक बेंचमार्किंग प्लेटफॉर्म तैयार करेगा. इससे स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए डेटा का उपयोग करना आसान होगा. यह एबीडीएम के तहत उपलब्ध डेटा का उपयोग करके बीमारियों को मापने और निदान करने के लिए एक सार्वजनिक बेंचमार्क बनाएगा, जिसके खिलाफ अन्य एआई मॉडल्स को बेंचमार्क किया जा सकता है. स्वास्थ्य सचिव ने आगे कहा कि क्लिनिकल सेटिंग्स में, विश्वसनीय डेटा की उपलब्धता हमें बेहतर परिणामों की ओर ले जाएगी और बेहतर निदान का परिणाम देगी.’
डिजिटल हेल्थ क्यों जरूरी?
डिजिटल हेल्थ भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 27 सितंबर 2021 को लॉन्च किया गया, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) का उद्देश सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सक्रिय सहयोग के माध्यम से एक मजबूत डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम स्थापित करना है. इसके तहत अस्पतालों, क्लीनिकों, प्रयोगशालाओं, फार्मेसियों और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों एक साथ लाना है.
एआई भारत के स्वास्थ्य इकोसिस्टम को क्रांतिकारी बनाने की क्षमता रखता है और कुछ एक्सपर्ट्स यह जानकारी देते हैं कि जब इसे एबीडीएम के डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के साथ जोड़ा जाता है, तो यह बीमारी के निदान, उपचार योजना और मरीजों के परिणामों में महत्वपूर्ण प्रगति का कारण बन सकता है.
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