तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी ने पैसे लेकर नौकरी देने से जुड़े घोटाले में उनके खिलाफ आपराधिक शिकायतों को बहाल करने के सितंबर 2022 के आदेश में से कुछ टिप्पणियों को हटाने का सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर 2022 को सभी पक्षों के बीच समझौते के आधार पर पूर्व मंत्री के खिलाफ शिकायतों को रद्द करने संबंधी मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु सरकार में मंत्री के रूप में बालाजी के कार्यकाल (2011-2015 के दौरान) के दौरान परिवहन निगम में रोजगार हासिल करने के लिए भ्रष्ट आचरण के सबूत हैं. वहीं, बालाजी ने दलील दी कि 8 सितंबर 2022 के फैसले में की गई टिप्पणियां मामले में निचली अदालत को और निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार को प्रभावित कर सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 के अपने फैसले में कहा था, ‘हम यह कहने के लिए विवश हैं कि आपराधिक कानून का कोई नौसिखिया भी पीसी (भ्रष्टाचार निवारण) अधिनियम के तहत अपराधों को अंतिम रिपोर्ट से बाहर नहीं छोड़ेगा. आईओ (जांच अधिकारी) का प्रयास ‘हमला करने को तैयार लेकिन घायल करने से डरने वाला’ प्रतीत होता है.’
इसमें कहा गया कि राज्य सरकार को पूरे घोटाले की व्यापक जांच करानी चाहिए थी, न कि आरोपियों को किसी एक मामले को इस तरह से अलग करने की अनुमति देनी चाहिए थी जैसे कि मानो यह कोई निजी धन विवाद हो. सेंथिल बालाजी ने दलील दी कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ ये टिप्पणियां की हैं, इसलिए निचली अदालत के पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की संभावना है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार का उल्लंघन होगा.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से 27 अप्रैल को फटकार लगाए जाने के बाद, बालाजी ने एम. के. स्टालिन के नेतृत्व वाले राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. 23 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने बालाजी से पद और स्वतंत्रता के बीच किसी एक को चुनने को कहा था और चेतावनी दी थी कि अगर वह तमिलनाडु में मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते हैं, तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर 2024 को बालाजी को जमानत दी थी, जिन्होंने 15 महीने से ज्यादा जेल में बिताए थे और कहा था कि निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की कोई संभावना नहीं है.
ईडी ने 2018 में तमिलनाडु पुलिस द्वारा तीन प्राथमिकी दर्ज किए जाने और कथित घोटाले से पीड़ित लोगों की शिकायतों के आधार पर आरोपों की जांच के लिए जुलाई 2021 में धन शोधन का मामला दर्ज किया था. ईडी के आरोपपत्र में दावा किया गया कि मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान राज्य परिवहन विभाग में पूरी भर्ती प्रक्रिया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई.