Sakat Chauth 2025 Chand Kab Niklega: सकट चौथ व्रत इस साल 17 जनवरी 2025 को रखा जाएगा. इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. इस व्रत को कुछ स्थानों पर तिलवा और तिलकुट चतुर्थी कहते हैं.
मान्यता यह भी है कि इस व्रत को करने से आपकी संतान को करियर में बड़ी सफलता प्राप्त होती है और उनकी तरक्की होती है. इस दिन स्त्रियां रात में चांद की पूजा के बाद व्रत खोलती हैं.
सकट चौथ 2025 आपके शहर में चांद कब निकलेगा (Sakat Chauth 2025 Moonrise Time Today)
- दिल्ली – 9 बजकर 9 मिनट
- मुंबई- 9 बजकर 34 मिनट
- अहमदाबाद – 9 बजकर 32 मिनट
- पटना – 8 बजकर 44 मिनट
- लखनऊ – 8 बजकर 55 मिनट
- नोएडा- 9 बजकर 7 मिनट
- गुरुग्राम – 9 बजे
- गाजियाबाद – 9 बजकर 8 मिनट
- मथुरा- 9 बजकर 8 मिनट
- अमृतसर – 9 बजकर 16 मिनट
- आगरा – 9 बजकर 5 मिनट
सकट चौथ व्रत पूजा मंत्र
- ऊं ऐं क्लीं सोमाय नम:
- ऊं श्रीं श्रीं चंद्रमसे नम:
- ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
सकट चौथ व्रत में दिनभर व्रत रखें और शाम को स्नान कर हरे रंग के वस्त्र पहनें और पूजा की चौकी पर गणपति को स्थापित करें. भगवान गणेश को दुर्वा, फूल, शमी पत्र ,चंदन और तिल से बने लड्डू अर्पित करें. पूजा के दौरान दीपक जलाएं और भगवान गणेश के मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें. तिल व गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाएं. अब रात में चंद्रमा को जल में दूध, तिल मिलाकर अर्घ्य दें. प्रार्थना करें और फिर संतान को और सभी को तिल की मिठाई का प्रसाद बांटें फिर व्रत पारण करें.
सकट चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने कार्तिकेय और गणेशजी से पूछा कि कौन देवताओं के कष्ट दूर कर सकता है. इस पर दोनों ने स्वयं को इस कार्य के लिए योग्य बताया. शिवजी ने कहा कि जो पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा, वही यह कार्य करेगा.
कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर परिक्रमा के लिए निकल गए. इस दौरान गणेशजी ने विचार किया कि उनका वाहन चूहा है, जो पूरे पृथ्वी की परिक्रमा करने में अधिक समय लेगा. तब उन्होंने एक उपाय सोचा और अपने माता-पिता शिव और पार्वती की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। जब कार्तिकेय लौटे, तो उन्होंने स्वयं को विजयी बताया.
भगवान शिव ने गणेशजी से पूछा कि उन्होंने पृथ्वी की परिक्रमा क्यों नहीं की। गणेशजी ने उत्तर दिया कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक विद्यमान हैं. उनके उत्तर से शिवजी प्रसन्न हुए और उन्हें देवताओं के कष्टों का निवारण करने का आशीर्वाद दिया. साथ ही, यह भी कहा कि जो व्यक्ति चतुर्थी के दिन श्रद्धा से उनकी पूजा करेगा और चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे.
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