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‘मोदी सरकार की विदेश नीति फेल, डेलिगेशन सिर्फ छवि सुधारने की कोशिश’, केंद्र पर कांग्रेस का आरोप


Congress on All Party Delegation: ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान की नापाक हरकतों को पूरे विश्व के सामने उजागर करने के मकसद से केंद्र सरकार सर्वदलीय सांसदों के 7 डेलिगेशन को अलग-अलग देशों में भेजने की तैयारी कर रही है. सरकार का मकसद है कि इन डेलिगेशन के जरिए पूरे विश्व में पाकिस्तान की सच्चाई सबके सामने आ सके और जिस तरह से भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान में स्थित कई आतंकी ठिकानों को मार गिराया उसके बारे में भी पूरा विश्व जान सके.

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस इसको लेकर केंद्र सरकार को लगातार घेरने की कोशिशों में लगी हुई है. पहले कांग्रेस ने सरकार को इस मुद्दे पर घेरा कि जिन सांसदों के नाम इस डेलीगेशन में शामिल करने के लिए कांग्रेस को भेजा था, उसे सरकार ने स्वीकार न करते हुए अपनी तरफ से कांग्रेस के सांसदों के नाम डेलिगेशन की लिस्ट में शामिल कर लिया.

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजना सरकार की मजबूरी- कांग्रेस

इसके अलावा, कांग्रेस ने मोदी सरकार की ओर से अलग-अलग देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने के पीछे सरकार की मजबूरी बताई. कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार की विदेशी कूटनीति पूरी तरह विफल साबित हुई है. यही वजह है कि सरकार अब सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को अलग-अलग देशों में भेजकर अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहा है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस मामले मे सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट लिखते हुए कहा, “11 सालों तक विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस को गालियां देने और बदनाम करने के बाद अब प्रधानमंत्री को मजबूरन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजना पड़ रहा है.”

स्वयंभू विश्वगुरु का गुब्बारा पूरी तरह से हो चुका पंचर- जयराम रमेश

उन्होंने कहा कि सच यह है कि बीजेपी की जहरीली घरेलू राजनीति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को भारी नुकसान पहुंचाया है. जयराम रमेश ने कहा कि मोदी सरकार की ढकोसले भरी कूटनीति बुरी तरह विफल रही है और भारत को एक बार फिर पाकिस्तान के साथ एक ही तराजू में रखकर देखा जा रहा है. यही है असली न्यू नॉर्मल स्वयंभू विश्वगुरु का गुब्बारा जो सिर्फ गर्म हवा से भरा हुआ था अब पूरी तरह से पंचर हो चुका है.

जयराम रमेश ने मोदी सरकार को घेरते हुए आगे लिखा कि यह प्रधानमंत्री की अपनी सीमाओं और विफलताओं का प्रतिबिंब है जो अब पूरी तरह उजागर हो चुकी हैं  कि उन्हें अब अचानक दलगत एकता की शरण लेनी पड़ रही है. लेकिन यह कोशिश भी क्षणिक, पाखंडपूर्ण और अवसरवादी है.



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