Categories: रिलिजन

भारत के 5 रहस्यमय मंदिर! जहां प्रसाद खाना या घर ले जाना मना है, जानिए इसके पीछे का कारण?


Show Quick Read

Key points generated by AI, verified by newsroom

India Mysterious Temple: भारत विभिन्नताओं का देश, जहां एक से ज्यादा रीति-रिवाज, संस्कृति, और धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं. भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में छोटे-बड़े कुल 7 लाख से ज्यादा मंदिर हैं.

आज के इस लेख में हम आपको भारत के 5 ऐसे मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां का प्रसाद ग्रहण करना मना है. इन मंदिरों में आने वाले भक्त प्रसाद को प्रतीकात्मक रूप से ग्रहण करते हैं.

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

राजस्थान स्थित हनुमान जी का मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, जो नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए प्रसिद्ध है. यहां आने वाले भक्त भगवान बालाजी को बूंदी के लड्डू और भैरव बाबा को उड़द की दाल और चावल का भोग अर्पित करते हैं.

मान्यताओं के मुताबिक यहां का प्रसाद खाना या घर ले जाना अशुभ माना जाता है. भक्त केवल भगवान को प्रसाद ही अर्पित करते हैं. मंदिर के पुजारी के मुताबिक प्रसाद को खाने या घर ले जाने से नकारात्मक शक्तियां आपका पीछा करती हैं.

मां कामाख्या देवी मंदिर

असम गुहावटी स्थित मां कामाख्या देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है. यहां देवी मां की पूजा उनके मासिक धर्म के दौरान तीन दिनों तक बंद रहती है. इस दौरान किसी भी भक्त को मंदिर में प्रवेश या प्रसाद ग्रहण करने की अनुमति नहीं होती है.

मान्यताओं के मुताबिक, देवी को विश्राम देने के लिए इन दिनों प्रसाद पाना वर्जित होता है.

उज्जैन काल भैरव मंदिर

मध्य प्रदेश स्थित उज्जैन के काल भैरव मंदिर में भैरव बाबा को शराब का प्रसाद अर्पित किया जाता है. भारत के इस एकमात्र मंदिर में यह परंपरा आज भी प्रचलित है. मान्यताओं के मुताबिक, शराब का प्रसाद केवल भगवान के लिए होता है, भक्त को इसे ग्रहण करने की मनाही होती है.

मान्यता है कि, जो भी इस नियम को तोड़ता है, उसे जीवन में संकट और बाधाओं का सामना करना पड़ता है.

नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश का नैना देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है, जहां मां नैना देवी को फल, फूल और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है. मान्यताओं के मुताबिक माता रानी का प्रसाद मंदिर परिसर के अंदर ही ग्रहण करने की सलाह दी जाती है. प्रसाद को घर ले जाना निषेध माना जाता है.

कोलार कोटिलिंगेश्वर मंदिर

दक्षिण भारत स्थित कर्नाटक के कोलार जिले में कोटिलिंगेश्वर मंदिर है, जहां शिवलिंग की संख्या 100-200 नहीं बल्कि एक करोड़ है. इस मंदिर में पूजा के बाद मिलने वाले प्रसाद को केवल प्रतीकात्मक रूप से ही ग्रहण किया जाता है. इसे खाने या घर ले जाने की मनाही होती है.

खासकर शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद को तो भूलकर भी ग्रहण करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह प्रसाद चंडेश्वर को समर्पित होता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



Source link

sultanpuri.com

Recent Posts

एक क्लिक में पढ़ें 28 दिसंबर, रविवार की अहम खबरें

देश, दुनिया, राज्य, महानगर, खेल, आर्थिक और बॉलीवुड में क्या कुछ हुआ? पल-पल की बड़ी…

6 hours ago

‘टैलेंट नहीं पैसा देखा जाता…’, जानें बॉलीवुड कास्टिंग पर इमरान खान ने क्या-क्या कहा

इमरान खान अपनी आने वाली फिल्म 'हैप्पी पटेल' के साथ बॉलीवुड में कमबैक करने के…

7 hours ago

स्मोकिंग जितनी खतरनाक बनती नींद की कमी, साइलेंट किलर बनकर शरीर को पहुंचा रही है नुकसान

कभी सिगरेट को सबसे बड़ा साइलेंट किलर माना जाता था, लेकिन अब डॉक्टर एक नई…

10 hours ago

Tiger Eye Stone: सोई किस्मत जगाने में कैसे मदद करता है टाइगर आई रत्न, जानिए टाइगर आई का रहस्य

Tiger Eye Stone: रत्न शास्त्र में टाइगर आई स्टोन को खास महत्व दिया गया है.…

10 hours ago