अक्सर शरीर पर अचानक पड़े नीले-काले निशान या हल्का दर्द हम छोटी-सी बात मानकर नजरअंदाज कर देते हैं. हाथ पर चोट का निशान देखकर हम सोचते हैं कि शायद कहीं टकरा गए होंगे. कंधे या पीठ का दर्द तो हम थकान, गलत बैठने की पोजिशन या ज्यादा काम का असर मान लेते हैं. लेकिन अगर ये लक्षण बिना वजह बार-बार दिखें या लंबे समय तक बने रहें, तो ये गंभीर बीमारी का संकेत हो सकते हैं. कई बार ये ब्लड कैंसर जैसी बीमारियों से भी जुड़े होते हैं.
क्यों बनते हैं बिना वजह चोट के निशान?
सामान्य तौर पर चोट तब बनती है जब त्वचा के नीचे की छोटी रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं. लेकिन अगर बिना किसी चोट के निशान बनने लगें, तो ये प्लेटलेट्स की कमी का संकेत है.
प्लेटलेट्स और ब्लड क्लॉटिंग: प्लेटलेट्स खून जमाने में मदद करते हैं. जब बोन मैरो पर्याप्त प्लेटलेट्स नहीं बनाता, तो हल्की सी चोट या बिना चोट के भी खून बहकर त्वचा के नीचे जम जाता है और निशान दिखने लगते हैं.
पीटीकाई (Petechiae): ये छोटे-छोटे लाल या बैंगनी धब्बे होते हैं, जिन्हें लोग अक्सर रैश समझ लेते हैं.
पर्पुरा (Purpura): ये बड़े धब्बे होते हैं, जो गहरे खून के रिसाव से बनते हैं. हल्की त्वचा पर ये लाल या बैंगनी दिखते हैं, जबकि गहरी त्वचा पर ये गहरे धब्बों या बैंगनी-काले पैच जैसे नजर आते हैं.
क्या होते हैं लक्षण
- ब्लड कैंसर के लक्षणों में कंधे या हड्डियों का दर्द भी शामिल हो सकता है. यह तब होता है जब असामान्य ब्लड सेल्स बोन मैरो में जमा होकर आसपास की नसों और टिश्यू पर दबाव डालते हैं.
- कंधे, पीठ या हिप्स में हल्का लेकिन लगातार दर्द.
- रात के समय या लेटते समय दर्द का बढ़ना.
- पेनकिलर खाने के बाद भी आराम न मिलना.
- ब्लड कैंसर के अन्य आम लक्षण
- चोट के निशान और दर्द के अलावा ब्लड कैंसर कई और संकेत भी देता है, जैसे:
- रात में पसीना आना, जिससे कपड़े और बिस्तर तक गीले हो जाएं.
- बहुत ज्यादा थकान, जो आराम करने पर भी दूर न हो.
- बार-बार इंफेक्शन होना, क्योंकि इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है.
- बिना कारण बुखार आना और बार-बार जाना.
- अचानक वजन घटना, बिना डाइटिंग या एक्सरसाइज के.
- खून की कमी (एनीमिया) से चेहरा पीला पड़ना और सांस फूलना.
- अलग-अलग स्किन टोन पर कैसे दिखते हैं लक्षण?
- स्किन टोन भी ब्लड कैंसर की पहचान में महत्वपूर्ण है.
- गोरी त्वचा पर चोट पहले लाल, फिर बैंगनी, हरी और पीली होती जाती है.
- ब्राउन या काली त्वचा पर चोट पहले नजर नहीं आती, बाद में गहरे धब्बों या काले पैच की तरह दिखती है.
- पीटीकाई और पर्पुरा पर दबाने से रंग हल्का नहीं होता, जबकि सामान्य रैश दबाने पर फीके हो जाते हैं.
क्यों जरूरी है सावधान रहना?
ये सभी लक्षण आम बीमारियों जैसे थकान, स्ट्रेस या कमजोरी की तरह लग सकते हैं. लेकिन अगर ये बार-बार हों या एक साथ दिखें, तो डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए. जल्दी जांच और सही इलाज से ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को भी कंट्रोल किया जा सकता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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