बांग्लादेश के इतिहास में पहली बार ढाका में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की बरसी मनाई गई. इतना ही नहीं, इस कार्यक्रम के दौरान उर्दू में जिन्ना की कविताएं भी पढ़ी गईं और कसीदे गढ़े गए. इस कार्यक्रम का आयोजन नवाब सलीमुल्ला अकादमी की ओर से किया गया था. बांग्लादेश का जन्म ही बांग्ला भाषा पर उर्दू थोपने के खिलाफ हुआ था, लेकिन आज उसी बांग्लादेश में उर्दू भाषा में जिन्ना के कसीदे पढ़े जा रहे हैं.
ढाका में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की 76वीं बरसी मनाई गई. 11 सितंबर दोपहर में ढाका नेशनल प्रेस क्लब के तोफज्जल हुसैन माणिक मिया हॉल में मुहम्मद अली जिन्ना की 76वीं पुण्य तिथि मनाने के लिए आयोजित एक समारोह में चर्चा सत्र के साथ-साथ उर्दू गाने और कविताएं प्रस्तुत की गईं. इस कार्यक्रम में मुहम्मद अली जिन्ना के जन्म से लेकर उनकी मृत्यु तक उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं का वर्णन किया गया.
इस अवसर पर ढाका में तैनात पाकिस्तान के उप उच्चायुक्त कामरान धांगल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. इस बीच, कार्यक्रम में उर्दू में बोलते हुए एक व्यक्ति का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. कई लोगों ने उस वीडियो को शेयर किया है. 1 मिनट 17 सेकंड के वायरल वीडियो में शख्स उर्दू में कह रहा है, ”15-16 साल बाद हम यहां उर्दू बोल रहे हैं और कार्यक्रम में हिस्सा ले सकते हैं. इस कार्यक्रम के आयोजकों को हृदय से धन्यवाद. मीरपुर-मोहम्मदपुर हमारे बाप-दादाओं का निवास स्थान था, वे पाकिस्तान के लिए मरे. यह देश भारत से अलग होकर पाकिस्तान बन गया.’
शख्स आगे कह रहा है, “मुहम्मद अली जिन्ना के बिना एशियाई महाद्वीप में मुसलमानों के लिए कोई देश नहीं होता. मोहम्मद अली जिन्ना की वजह से हमें पाकिस्तान मिला, जहां हम मुसलमान सम्मान के साथ अपने धर्म का पालन कर सकते हैं. 1971 में भारत ने हमारे देश को दो भागों में बांट दिया. पचपन साल तक हमारे बाप-दादाओं ने इसी पाकिस्तान का सपना देखा है. इसलिए आज पूरे पाकिस्तान को यहां देखकर और इस कार्यक्रम में आकर हमें बहुत खुशी हो रही है. इंशाअल्लाह ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा.”