प्रोस्टेट कैंसर की वृद्धि मुख्य रूप से पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन पर निर्भर करती है. हार्मोन थेरेपी (ADT) शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम करती है. इससे ट्यूमर की वृद्धि धीमी होती है, लेकिन थेरेपी के कारण मरीजों को हॉट फ्लैश, रात में पसीना, थकान और मूड में बदलाव जैसी समस्याएं होती हैं. ये सभी लक्षण नींद में बाधा डालते हैं.

प्रोस्टेट कैंसर के मरीज अक्सर नींद की समस्याओं का सामना करते हैं. जैसे सोने में कठिनाई (अनिद्रा), बार-बार नींद खुलना, नींद की गुणवत्ता खराब होना, नींद का कुल समय कम होना, नींद की दवा बंद करने पर सपने या बुरे सपने अधिक आना और यूरिन की जलन और अन्य असुविधाएं.
Published at : 23 Dec 2025 09:21 PM (IST)


