Parliament Winter Session: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (14 दिसंबर) को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने खून चखने के बाद संविधान को बार-बार लहूलुहान किया जबकि 2014 में सत्ता संभालने के बाद से उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों का उद्देश्य संविधान की दृष्टि के अनुरूप भारत की ताकत और एकता को बढ़ावा देना है.
उन्होंने भारतीय संविधान की 75 साल की यात्रा को असाधारण करार दिया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस दौरान 55 साल एक ही परिवार ने राज किया, जिसने देश का संविधान छिन्न-भिन्न करते हुए आपातकाल लगाया, अदालत के ‘पंख’ काट दिए और संसद का ‘गला घोंटने’ तक का काम किया.
जवाहरलाल नेहरू पर साधा निशाना
जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने संविधान का पालन किया. उन्होंने जयप्रकाश नारायण और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे वरिष्ठ नेताओं की सलाह पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने अपने संविधान का पालन नहीं किया और नेहरू को नेता बनाया जबकि राज्य इकाइयों ने सरदार पटेल का समर्थन किया था.
पीएम मोदी ने कहा, “1951 में पंडित नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को एक पत्र लिखा था. उन्होंने लिखा था कि अगर संविधान आड़े आता है, तो हमें किसी भी कीमत पर संविधान में बदलाव करना होगा. तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें आगाह किया था कि यह गलत है. तत्कालीन स्पीकर ने भी उन्हें बताया था लेकिन पंडित नेहरू का अपना संविधान था.”
‘1975 में लगाया गया आपातकाल’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संविधान बदलने की परंपरा इंदिरा गांधी ने भी अपने कार्यकाल में अपनाई थी. उन्होंने कहा, “जब संविधान के 25 वर्ष पूरे हो रहे थे, तब उसकी धज्जियां उड़ा दी गईं. 1975 में आपातकाल लगाया गया, सभी संवैधानिक अधिकार छीन लिए गए और देश को जेल में बदल दिया गया. नागरिकों के सभी अधिकार छीन लिए गए और मीडिया पर शिकंजा कसा गया.
प्रधानमंत्री मोदी ने 1971 की घटना का भी जिक्र किया जब इंदिरा गांधी को भ्रष्ट चुनावी प्रथाओं का दोषी पाए जाने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अयोग्य घोषित कर दिया था. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “1971 में, उसी वर्ष संविधान में संशोधन करके एक अदालत के फैसले को पलट दिया गया. उन्होंने हमारे देश की न्यायपालिका के पर कतर दिए.”
‘राजीव गांधी ने दिया चरमपंथियों का साथ’
राजीव गांधी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटकर संविधान पर हमला किया. प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि राजीव गांधी ने “वोट बैंक की राजनीति” के लिए “चरमपंथियों का साथ दिया.”
1985 में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के बाद अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने वाली शाह बानो की याचिका को स्वीकार कर लिया था. हालांकि, मुस्लिम समूहों के विरोध के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस फैसले को खारिज करने के लिए एक कानून पारित किया.
सोनिया गांधी और राहुल पर साधा निशाना
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान मंत्रिमंडल से ऊपर रखा गया था. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के ऊपर एक गैर-संवैधानिक निकाय, राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् को स्थापित किया.”
राहुल गांधी का नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री ने कहा कि एक “अहंकारी” नेता ने मनमोहन सिंह सरकार के सत्ता में रहने के दौरान कैबिनेट के फैसले को “फाड़” दिया, ताकि यह साबित किया जा सके कि कांग्रेस ने संविधान पर हमला किया है.