नई दिल्ली, 18 नंवबर (आईएएनएस)। दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज होने लगी है। कई दशकों से सत्ता से बाहर रही भाजपा को इस बार उम्मीद है कि जनता दिल्ली में कमल खिलाने जा रही है।
पिछले 10 साल से सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी को अपने कार्यों पर भरोसा है कि वह दिल्ली की सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ लौटेगी। अरविंद केजरीवाल पार्टी के मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। हालांकि, भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा, यह अभी तय नहीं है। लेकिन, आम आदमी पार्टी को कमजोर करने के लिए भाजपा ने तैयारी तेज कर दी है। इसमें सबसे खास सीट है नई दिल्ली की विधानसभा की। इस सीट से अरविंद केजरीवाल लगातार जीतते आए हैं। केजरीवाल इस सीट पर साल 2013, 2015 और 2020 में चुनाव जीत चुके हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि 2014 और 2019 में नई दिल्ली की लोकसभा सीट भाजपा के खाते में आई थी। लेकिन, इस सीट पर जब विधानसभा के चुनाव हुए तो भाजपा उम्मीदवार केजरीवाल के सामने टिक नहीं सके।
भाजपा ने साल 2015 में केजरीवाल के खिलाफ नुपुर शर्मा को मैदान में उतारा था और साल 2020 के चुनाव में सुनील कुमार यादव को। लेकिन, दोनों बार केजरीवाल जीतने में कामयाब रहे।
कहा जा रहा है कि केजरीवाल एक बार फिर अपनी सुरक्षित सीट नई दिल्ली से ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। अगर ऐसा होता है तो वह चौथी बार इस सीट से चुनाव लडेंगे। केजरीवाल जहां जीत का चौका मारने के लिए मैदान में होंगे। वहीं, भाजपा इस सीट पर केजरीवाल को मात देना चाहेगी। इसके लिए भाजपा मजबूत उम्मीदवार को उतारने की तैयारी में है।
भाजपा का एक वर्ग चाहता है कि केजरीवाल के सामने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को विधानसभा चुनाव में उतारा जाए। वहीं, नई दिल्ली से 2024 में लोकसभा का चुनाव जीतने वाली बांसुरी स्वराज भी भाजपा के लिए एक विकल्प है। बांसुरी स्वराज की पकड़ युवाओं और महिलाओं में काफी ज्यादा है और वह दिल्ली के विभिन्न मुद्दों पर आम आदमी पार्टी पर हमलावर भी रहीं हैं। इसके अलावा तीन बार लोकसभा का चुनाव जीतने चुके मनोज तिवारी को भी भाजपा केजरीवाल के सामने उतार सकती है।
कहा यह भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान जिन सांसदों का टिकट काटा गया था, उन्हें विधानसभा चुनाव 2025 में टिकट दिया जाएगा।
–आईएएनएस
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