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जरा-सा कुछ लगते ही निकल जाती है चीख, जानें किस बीमारी से पैरों में होती है यह तकलीफ


हाइपरस्थेसिया ऐसी कंडीशन है, जिसमें स्किन या शरीर के किसी हिस्से में थोड़ा-सा छूने से ही असामान्य रूप से दर्द या असहज महसूस होता है. पैरों में यह दिक्कत सबसे ज्यादा परेशान करती है. दरअसल, रोजमर्रा के कार्यों जैसे चलने और खड़े रहने के लिए पैर बेहद अहम होते हैं.

दिल्ली में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण गुप्ता के मुताबिक, हाइपरस्थेसिया नर्वस सिस्टम की अतिसंवेदनशीलता का नतीजा होता है. यह नर्व के डैमेज होने, सूजन या दिमाग और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी दिक्कतों के कारण हो सकता है.

दिल्ली में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रवीण गुप्ता के मुताबिक, हाइपरस्थेसिया नर्वस सिस्टम की अतिसंवेदनशीलता का नतीजा होता है. यह नर्व के डैमेज होने, सूजन या दिमाग और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी दिक्कतों के कारण हो सकता है.

Journal of Neurology में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, हाइपरस्थेसिया अक्सर पेरिफेरल न्यूरोपैथी (peripheral neuropathy) से जुड़ा होता है, जो तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचने के कारण होता है. यह कंडीशन डायबिटीज, विटामिन बी12 की कमी और ज्यादा शराब पीने से बढ़ सकती है. इसके अलावा हाइपरस्थेसिया क्रोनिक पेन सिंड्रोम, मल्टीपल स्क्लेरोसिस या सायटिका जैसी बीमारियों का लक्षण भी हो सकता है.

Journal of Neurology में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, हाइपरस्थेसिया अक्सर पेरिफेरल न्यूरोपैथी (peripheral neuropathy) से जुड़ा होता है, जो तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचने के कारण होता है. यह कंडीशन डायबिटीज, विटामिन बी12 की कमी और ज्यादा शराब पीने से बढ़ सकती है. इसके अलावा हाइपरस्थेसिया क्रोनिक पेन सिंड्रोम, मल्टीपल स्क्लेरोसिस या सायटिका जैसी बीमारियों का लक्षण भी हो सकता है.

पैरों में हाइपरस्थेसिया के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें कुछ का कनेक्शन सामान्य बीमारियों से तो कुछ गंभीर बीमारियों से जुड़े होते हैं. इनमें पहले नंबर पर पेरिफेरल न्यूरोपैथी है, जो नर्व डैमेज होने के कारण होता है. यह डायबिटीज, कैंसर कीमोथेरेपी या विटामिन बी12 की कमी से हो सकता है. दरअसल, डायबिटीज के मरीजों में हाई ब्लड शुगर नर्व्स को नुकसान पहुंचाता है, जिससे पैरों में झनझनाहट, जलन और अत्यधिक संवेदनशीलता होती है.

पैरों में हाइपरस्थेसिया के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें कुछ का कनेक्शन सामान्य बीमारियों से तो कुछ गंभीर बीमारियों से जुड़े होते हैं. इनमें पहले नंबर पर पेरिफेरल न्यूरोपैथी है, जो नर्व डैमेज होने के कारण होता है. यह डायबिटीज, कैंसर कीमोथेरेपी या विटामिन बी12 की कमी से हो सकता है. दरअसल, डायबिटीज के मरीजों में हाई ब्लड शुगर नर्व्स को नुकसान पहुंचाता है, जिससे पैरों में झनझनाहट, जलन और अत्यधिक संवेदनशीलता होती है.

विटामिन बी12 और फोलेट की कमी नर्वस सिस्टम को कमजोर करती है, जिससे हाइपरस्थेसिया हो सकता है. दरअसल, विटामिन बी12 की कमी न केवल हाइपरस्थेसिया होता है, बल्कि पैरों में कमजोरी और सुन्नता का कारण भी बन सकती है.

विटामिन बी12 और फोलेट की कमी नर्वस सिस्टम को कमजोर करती है, जिससे हाइपरस्थेसिया हो सकता है. दरअसल, विटामिन बी12 की कमी न केवल हाइपरस्थेसिया होता है, बल्कि पैरों में कमजोरी और सुन्नता का कारण भी बन सकती है.

इसके अलावा रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (RLS) भी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो पैरों में बेचैनी, झनझनाहट और ज्यादा संवेदनशीलता पैदा करता है. यह दिक्कत रात के वक्त काफी ज्यादा महसूस होती है. RLS अक्सर आयरन की कमी से होता है, जिसे ब्लड टेस्ट से आसानी से चेक किया जा सकता है.

इसके अलावा रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (RLS) भी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो पैरों में बेचैनी, झनझनाहट और ज्यादा संवेदनशीलता पैदा करता है. यह दिक्कत रात के वक्त काफी ज्यादा महसूस होती है. RLS अक्सर आयरन की कमी से होता है, जिसे ब्लड टेस्ट से आसानी से चेक किया जा सकता है.

सायटिका नर्व पर दबाव के कारण पैरों में दर्द, झनझनाहट और संवेदनशीलता हो सकती है.  यह आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर पैरों तक फैलता है. वहीं, मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS) ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें नर्वस सिस्टम की मायलिन शीथ को नुकसान पहुंचता है, जिससे हाइपरस्थेसिया जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं.

सायटिका नर्व पर दबाव के कारण पैरों में दर्द, झनझनाहट और संवेदनशीलता हो सकती है. यह आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर पैरों तक फैलता है. वहीं, मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS) ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें नर्वस सिस्टम की मायलिन शीथ को नुकसान पहुंचता है, जिससे हाइपरस्थेसिया जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं.

Published at : 11 Jul 2025 06:59 AM (IST)

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