चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी कम्युनिस्ट पार्टी के ही अधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सख्त हिदायत दी है. जिनपिंग ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा,’गलतियों को छुपाना बंद करो और उन्हें स्वीकार करो.’
दरअसल, चीनी राष्ट्रपति ने यह सख्त बयान चीन में भ्रष्टाचार के लगातार सामने आ रहे मामलों को देखते हुए दिया है. चीन की सरकार का दावा है कि वह कम्युनिस्ट पार्टी और सेना के भ्रष्टाचारी अधिकारियों के खिलाफ विशेष अभियान चला रही है.’
हालांकि, चीन की सरकार का दावा धरातल पर इसके ठीक उलट नजर आ रहा है. क्योंकि एक तरफ तो चीन की सरकार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्ती का दावा कर रही है और वहीं दूसरी तरफ आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले साल के मुकाबले इस साल भ्रष्टाचार के मामलों में बढ़ोतरी हुई है.
10 लाख से ज्यादा लोगों पर एक्शन
हांगकांग के मीडिया हाउस साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन 2012 से अब तक करीब 10 लाख से ज्यादा अधिकारियों और पार्टी कार्यकर्ताओं पर एक्शन ले चुका है. इसमें दो रक्षा मंत्री और दर्जनों सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं. लेकिन इसके बाद भी भ्रष्टाचार के मामलों में कमी नहीं आ रही है.
पिछले साल के मुकाबले बढ़ गए केस
रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सरकार ने पिछले साल 45 हाई रैंकिंग अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच शुरू की थी. इससे सबक लेने की जगह चीनी अधिकारियों के भ्रष्टाचार के मामले और बढ़ गए हैं. इस साल यह संख्या बढ़कर 54 तक पहुंच गई है.
‘एक्शन लेने में कोई दया न दिखाएं’
जिनपिंग लगातार भ्रष्टाचार के मामलों में कमी लाने की कोशिशों में लगे हुए हैं. उन्होंने अधिकारियों और पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि वह भ्रष्टाचार के मामलों को खुलकर सामने लेकर आएं. अगर आलोचनाओं से बचा जाएगा और गलतियां छुपाई जाएंगी तो इससे परेशानी और बढ़ेगी. एक अहम बैठक में जिनपिंग ने कहा है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ एक्शन लेने में कोई दया नहीं दिखाई जानी चाहिए.
जिनपिंग के आलोचकों का मानना कुछ और
चीनी सेना में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ ऑपरेशन चलाए जाने के मामले ने इस समय पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. हालांकि, जिनपिंग के आलोचकों का मानना है कि वह सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए यह सब कर रहे हैं.
एडमिरल को किया गया था सस्पेंड
बता दें कि नवंबर में ही चीनी सेना पीएलए के हाई रैकिंग अधिकारी और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभारी एडमिरल मियाओ हुआ को ड्यूटी से सस्पेंड कर दिया गया था. उन्हें ‘गंभीर अनुशासनिक उल्लंघन’ के लिए जांच के दायरे में रखा गया था.