Modi Cabinet: शपथ ग्रहण समारोह रविवार (9 जून) को संपन्न हुआ. मोदी सरकार 3.0 के मंत्रियों के पोर्टफोलियो भी सामने आ चुके हैं. भाजपा ने अपने सहयोगी दलों को भी मंत्रिमंडल में जगह दी है. मंत्रिमंडल बंटवारे के बीच कैबिनेट समितियां और सीसीएस जैसे कुछ शब्द हैं, जो सुर्खियों में दिखाई दे रहे हैं. आइए जानते हैं कि CCS और कैबिनेट की अन्य महत्वपूर्ण समितियां, जिनमें CCEA (आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति) और CCPA (राजनीतिक मामलों पर कैबिनेट समिति) शामिल हैं, क्या हैं? कैबिनेट समितियों की संरचना क्या है – और सरकारी तंत्र में उनकी भूमिका और कार्य प्रणाली क्या है?
क्या होती है अलग-अलग कैबिनेट समितियां?
केंद्रीय मंत्रिमंडल के शपथ लेने के बाद विभागों का आवंटन होता है. इसके बाद हाई प्रोफाइल कैबिनेट समितियों का गठन होता है. इन समितियों का गठन प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल के चुने हुए सदस्यों के साथ बैठकर करते हैं और इन समितियों को विशिष्ट कार्य सौंपे जाते हैं. पीएम समितियों की संख्या में बदलाव और उन्हें सौंपे गए कार्यों में संशोधन भी कर सकते हैं.
हर एक समिति में सदस्यों की संख्या तीन से आठ तक होती है. केवल कैबिनेट मंत्री ही इन समितियों के सदस्य होते हैं. ये समितियां मसलों का निवारण करती हैं और मंत्रिमंडल के विचार के लिए प्रस्ताव तैयार करती हैं और उनको दिए गए मसलों पर निर्णय लेती हैं. बता दें कि मंत्रिमंडल को इन मसलों पर समीक्षा करने का भी अधिकार होता है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में कई GoM ( मंत्रियों का ग्रुप) और EGOM (अधिकार प्राप्त मंत्री समूह) के अलावा कुल 12 समितियां थीं.
2019 में पीएम मोदी ने शुरू की थी ये समिति
इस समय कुल 8 कैबिनेट समितियां हैं. कैबिनेट की नियुक्ति समिति, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति, राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति, निवेश और विकास पर कैबिनेट समिति, सुरक्षा पर कैबिनेट समिति, संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति, रोजगार और कौशल विकास पर कैबिनेट समिति और आवास पर कैबिनेट समिति. निवेश और रोजगार पर समितियां 2019 में पीएम मोदी द्वारा शुरू की गई नई समिति थीं. इसमें खास बात ये है कि आवास पर कैबिनेट समिति और संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति के अलावा सभी समितियों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है.
क्यों इतना महत्वपूर्ण है CCS?
पीएम के नेतृत्व में CCS (Cabinet Committee on Security) में वित्त, रक्षा, गृह और विदेश मंत्री सदस्य होते हैं. इनका काम राष्ट्रीय सुरक्षा निकाय में चर्चा और नियुक्तियां करना है. महत्वपूर्ण नियुक्तियां, जैसे – रक्षा संबंधी मुद्दों से निपटने के अलावा, CCS कानून और व्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दों और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर विदेशी मामलों से संबंधित नीतिगत मामलों पर भी विचार-विमर्श करती है. इतना ही नहीं यह परमाणु ऊर्जा से संबंधित मामलों पर भी चर्चा करते हैं.
क्या गठबंधन सहयोगी पहले भी रहे CCS के सदस्य?
साल 1996 में, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया और एचडी देवेगौड़ा देश के प्रधानमंत्री बने. देवेगौड़ा ने 1 जून 1996 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, जिसमें यूपी की समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने थे. वहीं पी चिदंबरम वित्त मंत्री बने और सीपीआई के इंद्रजीत गुप्ता गृह मंत्री बने थे. इस दौरान CCS में अलग-अलग दलों के नेताओं को जगह मिली थी.
वाजपेयी सरकार में जॉर्ज फर्नांडिस बने थे रक्षा मंत्री
साल 2001 में, जब अटल बिहारी वाजपेयी एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे थे, तब समता पार्टी के संस्थापक जॉर्ज फर्नांडिस को रक्षा मंत्री बनाया गया था और उन्होंने तीन साल तक पद को संभाला था. वहीं भाजपा के नेतृत्व वाली दूसरी और तीसरी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार (1998-2004) में भी रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने कारगिल युद्ध और पोखरण में परमाणु ट्रायल्स की देखरेख की थी.
हालांकि यूपीए सरकार की बात करें तो कांग्रेस ने इस दौरान CCS के सभी मंत्रालय अपने पास ही रखे थे और अब नरेंद्र मोदी सरकार में भी ये चारों मंत्रालय बीजेपी के पास ही है.
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