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क्या है एल्टिट्यूड सिकनेस, जिसने ले ली नोएडा के एक युवक की जान


नोएडा के रहने वाले चिन्मय शर्मा की 29 अगस्त को मौत हो गई. 27 साल के चिन्मय की मौत एल्टिट्यूड सिकनेस की वजह से हुई है. एल्टीट्यूड सिकनेस (Altitude Sickness), जिसे हिंदी में आप पर्वतीय रोग या ऊंचाई पर होने वाली बीमारी के नाम से भी जानते हैं एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है.

ये बीमारी लोगों को ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण होती है. सामान्य तौर पर ये बीमारी उन लोगों को ही अपना शिकार बनाती है जो तेजी से समुद्र तल से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाते हैं. खासतौर से जब ऊंचाई 8,000 फीट से ज्यादा हो. चलिए आज इस आर्टिकल में आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

शरीर पर इस बीमारी का असर कैसा दिखता है

एल्टीट्यूड सिकनेस का मुख्य कारण ऊंचाई पर वायुमंडलीय दबाव का कम हो जाना होता है. दरअसल, जैसे-जैसे हम ऊंचाई पर जाते हैं, हवा का दबाव कम होता जाता है और इसके साथ-साथ ऑक्सीजन का स्तर भी घटने लगता है. ऐसे में शरीर को सामान्य रूप से काम करने के लिए जितनी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, उतनी मिल नहीं पाती.

धीरे-धीरे ऑक्सीजन की कमी का असर शरीर के अलग-अलग अंगों पर दिखने लगता है. खासतौर से फेफड़ों पर इसका असर सबसे ज्यादा होता है. दरअसल, वायुमंडलीय दबाव में कमी के कारण फेफड़ों में ऑक्सीजन की मात्रा घटने लगती है, जिससे खून में ऑक्सीजन का स्तर भी कम होने लगता है. इसकी वजह से दिमाग और मांसपेशियों में पर गहरा असर पड़ता है और धीरे-धीरे शरीर के अंग सुन्न पड़ने लगते हैं.

तीन स्तर का होता है एल्टीट्यूड सिकनेस

एल्टीट्यूड सिकनेस के तीन स्तर होते हैं जो उनकी गंभीरता के आधार पर विभाजित किए जाते हैं. पहला होता है एक्यूट माउंटेन सिकनेस. दूसरा स्तर होता है हाई एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा और तीसरा स्तर हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा होता है.

एक्यूट माउंटेन सिकनेस

यह सबसे शुरूआती स्तर है. ये हल्के लक्षणों के साथ शुरू होती है. इसमें आपको सिरदर्द, थकान, चक्कर आना और मिचली जैसी समस्याएं हो सकती हैं. यह आमतौर पर किसी व्यक्ति को 8,000 से 12,000 फीट की ऊंचाई पर होती है.

हाई एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा

ये स्तर एल्टीट्यूड सिकनेस का एक गंभीर रूप है. इस स्थिति में दिमाग में सूजन हो जाती है. इसके लक्षणों की बात करें तो तेज़ सिरदर्द, भ्रम की स्थिति और यहां तक कि बेहोश हो जाना शामिल है. कई बार यह स्थिति जानलेवा हो जाती है और तुरंत इलाज की जरूरत होती है.

हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा

यह अति गंभीर स्थिति है. इस स्थिति में फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है. इसके लक्षणों की बात करें तो इसमें सांस लेने में कठिनाई, छाती में दर्द और थकावट जैसा महसूस होता है. इस स्थिति में अगर तुरंत सही इलाज नहीं मिला तो इंसान की मौत हो जाती है.

ये भी पढ़ें: ‘मौत ही मौत’…5 वर्षों में 59 हजार से ज्यादा छात्रों ने दे दी जान, वजह सिर्फ एक

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