मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं और उनका कहना है कि सीजेआई के तौर पर अपने कार्यकाल में उन्होंने जमानत मामलों को प्राथमिकता दी. उन्होंने कहा कि दो साल के कार्यकाल में 21 हजार से भी ज्यादा जमानत याचिकाओं का निपटारा किया गया. उन्होंने दिल्ली दंगा मामले में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत में देरी पर भी बात की.
सीजेआई चंद्रचूड़ द इंडियन एक्सप्रेस के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. यहां दिल्ली दंगा मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई में देरी संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मीडिया में एक विशेष मामले को महत्व दिया जाता है और फिर उस विशेष मामले पर अदालत की आलोचना की जाती है.
उन्होंने कहा, ‘सीजेआई के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, मैंने जमानत मामलों को प्राथमिकता देने का फैसला किया क्योंकि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है. यह निर्णय लिया गया कि सुप्रीम कोर्ट की हर पीठ को कम से कम 10 जमानत मामलों की सुनवाई करनी चाहिए. नौ नवंबर, 2022 और एक नवंबर, 2024 के बीच सुप्रीम कोर्ट में 21,000 जमानत याचिकाएं दायर की गईं. इस अवधि के दौरान 21,358 जमानत याचिकाओं का निस्तारण किया गया.’
सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस दौरान गणपति पूजा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उनके आवास पर आने के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री गणपति पूजा के लिए मेरे घर आए. इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि सामाजिक स्तर पर न्यायपालिका और कार्यपालिका से जुड़े व्यक्तियों के बीच निरंतर बैठकें होती हैं. हम राष्ट्रपति भवन में, गणतंत्र दिवस आदि पर मिलते हैं. हम प्रधानमंत्री और मंत्रियों से बात करते हैं. इस दौरान उन मामलों पर बात नहीं होती, जिनपर हमें फैसला लेना होता है, बल्कि सामान्य रूप से जीवन और समाज से जुड़े मामलों पर बात होती है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह गणेश पूजा की तस्वीर के फ्रेम में थोड़ा बदलाव करके उसमें नेता प्रतिपक्ष (LOP) और सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी लाना चाहेंगे तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि वह एलओपी को शामिल नहीं करेंगे क्योंकि यह केंद्रीय सतर्कता आयुक्त या सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति के लिए चयन समिति नहीं है.
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